श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 16: लक्ष्मण के द्वारा हेमन्त ऋतु का वर्णन और भरत की प्रशंसा तथा श्रीराम का उन दोनों के साथ गोदावरी नदी में स्नान  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  3.16.37 
 
 
न तेऽम्बा मध्यमा तात गर्हितव्या कदाचन।
तामेवेक्ष्वाकुनाथस्य भरतस्य कथां कुरु॥ ३७॥
 
 
अनुवाद
 
  तात! तुम कभी भी मझली माँ कैकेयी की निंदा या आलोचना न करो। यदि कुछ कहना ही हो तो, पहले की भाँति सिर्फ़ इक्ष्वाकुवंश के स्वामी भरत की ही प्रशंसा और चर्चा करो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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