श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 16: लक्ष्मण के द्वारा हेमन्त ऋतु का वर्णन और भरत की प्रशंसा तथा श्रीराम का उन दोनों के साथ गोदावरी नदी में स्नान  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  3.16.34 
 
 
न पित्र्यमनुवर्तन्ते मातृकं द्विपदा इति।
ख्यातो लोकप्रवादोऽयं भरतेनान्यथा कृत:॥ ३४॥
 
 
अनुवाद
 
  भरत ने अपने व्यवहार से एक प्रचलित धारणा को झूठा साबित कर दिया है जो कहती है कि मनुष्य अक्सर पिता के गुणों का नहीं बल्कि माता के गुणों का अनुसरण करता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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