श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 16: लक्ष्मण के द्वारा हेमन्त ऋतु का वर्णन और भरत की प्रशंसा तथा श्रीराम का उन दोनों के साथ गोदावरी नदी में स्नान  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  3.16.26 
 
 
जराजर्जरितै: पत्रै: शीर्णकेसरकर्णिकै:।
नालशेषा हिमध्वस्ता न भान्ति कमलाकरा:॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  जरजर पत्रों तथा खराब हुए केसर और कर्णिका वाले कमलों के समूह पाले से नष्ट हो गए हैं। केवल उनकी डंठलें ही बची हैं, जिससे उनकी सुंदरता नष्ट हो गई है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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