वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 16: लक्ष्मण के द्वारा हेमन्त ऋतु का वर्णन और भरत की प्रशंसा तथा श्रीराम का उन दोनों के साथ गोदावरी नदी में स्नान
»
श्लोक 24
श्लोक
3.16.24
बाष्पसंछन्नसलिला रुतविज्ञेयसारसा:।
हिमार्द्रवालुकैस्तीरै: सरितो भान्ति साम्प्रतम्॥ २४॥
अनुवाद
play_arrowpause
वर्तमान समय में नदियों का जल वाष्प से आच्छादित है। इनमें विचरण करने वाले सारस केवल अपने कलरवों से ही पहचाने जाते हैं और ये नदियाँ भी ओस से भीगी हुई बालू वाले अपने तटों से ही प्रकाश में आती हैं (जल से नहीं)।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.