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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 16: लक्ष्मण के द्वारा हेमन्त ऋतु का वर्णन और भरत की प्रशंसा तथा श्रीराम का उन दोनों के साथ गोदावरी नदी में स्नान
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श्लोक 23
श्लोक
3.16.23
अवश्यायतमोनद्धा नीहारतमसावृता:।
प्रसुप्ता इव लक्ष्यन्ते विपुष्पा वनराजय:॥ २३॥
अनुवाद
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अवश्य ही अंधकार से आच्छादित तथा रात्रि के समय ओस की बूंदों और अंधकार से ढकी हुईं ये पुष्पहीन वनश्रेणियां सोई हुई प्रतीत होती हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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