श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 16: लक्ष्मण के द्वारा हेमन्त ऋतु का वर्णन और भरत की प्रशंसा तथा श्रीराम का उन दोनों के साथ गोदावरी नदी में स्नान  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  3.16.22 
 
 
एते हि समुपासीना विहगा जलचारिण:।
नावगाहन्ति सलिलमप्रगल्भा इवाहवम्॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  जल के समीप ही बैठे हुए ये जलपक्षी पानी में नहीं उतर रहे हैं, जैसे डरपोक लोग युद्ध-क्षेत्र में जाने से घबराते हैं, वैसे ही ये पानी में उतरने से डर रहे हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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