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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 16: लक्ष्मण के द्वारा हेमन्त ऋतु का वर्णन और भरत की प्रशंसा तथा श्रीराम का उन दोनों के साथ गोदावरी नदी में स्नान
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श्लोक 19
श्लोक
3.16.19
आग्राह्यवीर्य: पूर्वाह्णे मध्याह्ने स्पर्शत: सुख:।
संरक्त: किंचिदापाण्डुरातप: शोभते क्षितौ॥ १९॥
अनुवाद
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अभी पृथ्वी पर फैली हुई सूर्य की किरणें लाल रंग की हैं और किंचित श्वेत और पीले रंग की भी हैं, जो देखने में बहुत सुंदर लग रही हैं। सुबह के समय तो इनकी तीव्रता का अनुभव नहीं होता है, परंतु दोपहर के समय इनके स्पर्श से सुख की अनुभूति होती है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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