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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 16: लक्ष्मण के द्वारा हेमन्त ऋतु का वर्णन और भरत की प्रशंसा तथा श्रीराम का उन दोनों के साथ गोदावरी नदी में स्नान
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श्लोक 18
श्लोक
3.16.18
मयूखैरुपसर्पद्भिर्हिमनीहारसंवृतै:।
दूरमभ्युदित: सूर्य: शशाङ्क इव लक्ष्यते॥ १८॥
अनुवाद
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हिमनीहार अर्थात कोहरा से ढका हुआ और प्रकाश की क्षीण किरणों से जगमगाता हुआ दूर से उगता सूर्य चन्द्रमा की भांति दिखाई देता है॥ १८॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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