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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 16: लक्ष्मण के द्वारा हेमन्त ऋतु का वर्णन और भरत की प्रशंसा तथा श्रीराम का उन दोनों के साथ गोदावरी नदी में स्नान
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श्लोक 17
श्लोक
3.16.17
खर्जूरपुष्पाकृतिभि: शिरोभि: पूर्णतण्डुलै:।
शोभन्ते किंचिदालम्बा: शालय: कनकप्रभा:॥ १७॥
अनुवाद
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खजूर के फूल के-सी आकार वाली पकी शालिधान की सुनहरी बालियाँ चावल से भरी हुई, सहज लटकती हुई, खेत में बड़ा शोभायमान लगती हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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