श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 16: लक्ष्मण के द्वारा हेमन्त ऋतु का वर्णन और भरत की प्रशंसा तथा श्रीराम का उन दोनों के साथ गोदावरी नदी में स्नान  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  3.16.16 
 
 
बाष्पच्छन्नान्यरण्यानि यवगोधूमवन्ति च।
शोभन्तेऽभ्युदिते सूर्ये नदद्भि: क्रौञ्चसारसै:॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  वाष्प से आच्छादित ये घने वन जौ और गेहूँ के खेतों से परिपूर्ण हैं। सूर्योदय के समय ये वन और भी अधिक मनोहारी लग रहे हैं। क्रौंच और सारस इन वनों में मधुर स्वर में कलरव कर रहे हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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