श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 16: लक्ष्मण के द्वारा हेमन्त ऋतु का वर्णन और भरत की प्रशंसा तथा श्रीराम का उन दोनों के साथ गोदावरी नदी में स्नान  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  3.16.15 
 
 
प्रकृत्या शीतलस्पर्शो हिमविद्धश्च साम्प्रतम्।
प्रवाति पश्चिमो वायु: काले द्विगुणशीतल:॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  प्रकृति से ही जिसका स्पर्श शीतल है वह पश्चिमी हवा अब हिमकणों से भरी होने के कारण दुगनी ठंडक के साथ तेज गति से बह रही है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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