श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 16: लक्ष्मण के द्वारा हेमन्त ऋतु का वर्णन और भरत की प्रशंसा तथा श्रीराम का उन दोनों के साथ गोदावरी नदी में स्नान  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  3.16.14 
 
 
ज्योत्स्ना तुषारमलिना पौर्णमास्यां न राजते।
सीतेव चातपश्यामा लक्ष्यते न च शोभते॥ १४॥
 
 
अनुवाद
 
  इन दिनों पौर्णिमा की चांदनी रात भी ओस की बूंदों से मैली दिखाई देती है, चमक नहीं पाती। ठीक उसी तरह, जैसे सीता ज्यादा धूप लगने से सांवली लगती है, पहले वाली खूबसूरती नहीं पा पाती।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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