श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 16: लक्ष्मण के द्वारा हेमन्त ऋतु का वर्णन और भरत की प्रशंसा तथा श्रीराम का उन दोनों के साथ गोदावरी नदी में स्नान  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  3.16.13 
 
 
रविसंक्रान्तसौभाग्यस्तुषारारुणमण्डल:।
नि:श्वासान्ध इवादर्शश्चन्द्रमा न प्रकाशते॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  हेमन्त ऋतु में चन्द्रमा का सौंदर्य सूर्य देव में चला गया है। चन्द्रमा शीत ऋतु के कारण निष्प्रभ हो गया है। सूर्यदेव मंद किरणों से युक्त होने के कारण सेव्य हो गए हैं। चन्द्रमंडल हिमकणों से आच्छादित होकर धूमिल जान पड़ता है। इस प्रकार चन्द्रदेव निःश्वासवायु से मलिन हुए दर्पण की भाँति प्रकाशित नहीं हो पा रहे हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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