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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 16: लक्ष्मण के द्वारा हेमन्त ऋतु का वर्णन और भरत की प्रशंसा तथा श्रीराम का उन दोनों के साथ गोदावरी नदी में स्नान
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श्लोक 12
श्लोक
3.16.12
निवृत्ताकाशशयना: पुष्यनीता हिमारुणा:।
शीतवृद्धतरायामास्त्रियामा यान्ति साम्प्रतम्॥ १२॥
अनुवाद
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हिमपात के कारण आकाश से हटने वाले तारों को ढक लेता है। पौष मास की ये रातें हिमपात के कारण धूसर प्रतीत होती हैं। ठंड बढ़ने के कारण लोग खुले आकाश में सोना बंद कर देते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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