श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 16: लक्ष्मण के द्वारा हेमन्त ऋतु का वर्णन और भरत की प्रशंसा तथा श्रीराम का उन दोनों के साथ गोदावरी नदी में स्नान  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  3.16.11 
 
 
मृदुसूर्या: सुनीहारा: पटुशीता: समारुता:।
शून्यारण्या हिमध्वस्ता दिवसा भान्ति साम्प्रतम्॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  अभी के दिन ऐसे हैं कि सूर्य की किरणों का स्पर्श मृदु एवं सुखद लगता है। कुहासे की अधिकता के कारण दृश्यता कम होती है। सर्दी काफ़ी तेज़ है और ठंडी हवा चलती रहती है। पाला पड़ने से पत्ते झड़ गए हैं और जंगल सुनसान दिखते हैं। कमल हिम के स्पर्श से गल गए हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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