श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 16: लक्ष्मण के द्वारा हेमन्त ऋतु का वर्णन और भरत की प्रशंसा तथा श्रीराम का उन दोनों के साथ गोदावरी नदी में स्नान  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  3.16.10 
 
 
अत्यन्तसुखसंचारा मध्याह्ने स्पर्शत: सुखा:।
दिवसा: सुभगादित्याश्छायासलिलदुर्भगा:॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  मध्याह्न काल में सूर्य की रौशनी का स्पर्श करके हेमन्त के सुखदायक दिन इधर-उधर घूमने के लिए बहुत ही सुखद हो जाते हैं। इन दिनों सूर्यदेव सुखदायक होते हैं क्योंकि वे सुखदायक होते हैं, लेकिन छाया और पानी दुर्भाग्यपूर्ण होते हैं क्योंकि वे आनंददायक नहीं होते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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