श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 15: पञ्चवटी के रमणीय प्रदेश में श्रीराम की आज्ञा से लक्ष्मण द्वारा सुन्दर पर्णशाला का निर्माण तथा उसमें सीता और लक्ष्मण सहित श्रीराम का निवास  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  3.15.31 
 
 
कञ्चित् कालं स धर्मात्मा सीतया लक्ष्मणेन च।
अन्वास्यमानो न्यवसत् स्वर्गलोके यथामर:॥ ३१॥
 
 
अनुवाद
 
  धर्मनिष्ठ श्रीराम कुछ समय तक सीता और लक्ष्मण के साथ वहाँ उसी प्रकार रहे, जैसे स्वर्गलोक में देवता निवास करते हैं।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे पञ्चदश: सर्ग:॥ १५॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें पंद्रहवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ १५॥
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.