श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 15: पञ्चवटी के रमणीय प्रदेश में श्रीराम की आज्ञा से लक्ष्मण द्वारा सुन्दर पर्णशाला का निर्माण तथा उसमें सीता और लक्ष्मण सहित श्रीराम का निवास  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  3.15.30 
 
 
एवं लक्ष्मणमुक्त्वा तु राघवो लक्ष्मिवर्धन:।
तस्मिन् देशे बहुफले न्यवसत् स सुखं सुखी॥ ३०॥
 
 
अनुवाद
 
  लक्ष्मण से ऐसा कहकर श्रीरामचन्द्रजी ने अपनी शोभा का विस्तार किया और सुखपूर्वक रहने लगे। वे उस पञ्चवटी-प्रदेश में सबके साथ सुखपूर्वक रहने लगे, जो कि प्रचुर फलों से सम्पन्न था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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