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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 15: पञ्चवटी के रमणीय प्रदेश में श्रीराम की आज्ञा से लक्ष्मण द्वारा सुन्दर पर्णशाला का निर्माण तथा उसमें सीता और लक्ष्मण सहित श्रीराम का निवास
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श्लोक 20
श्लोक
3.15.20
एवमुक्तस्तु रामेण लक्ष्मण: परवीरहा।
अचिरेणाश्रमं भ्रातुश्चकार सुमहाबल:॥ २०॥
अनुवाद
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श्रीराम के ऐसे कहने पर शत्रुवीरों का संहार करने वाले परम शक्तिशाली और बलशाली लक्ष्मण ने अपने भाई श्रीराम के लिए शीघ्र ही एक आश्रम बनाकर तैयार कर दिया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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