श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 15: पञ्चवटी के रमणीय प्रदेश में श्रीराम की आज्ञा से लक्ष्मण द्वारा सुन्दर पर्णशाला का निर्माण तथा उसमें सीता और लक्ष्मण सहित श्रीराम का निवास  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  3.15.2 
 
 
आगता: स्म यथोद्दिष्टं यं देशं मुनिरब्रवीत्।
अयं पञ्चवटीदेश: सौम्य पुष्पितकानन:॥ २॥
 
 
अनुवाद
 
  सौम्य! हम लोग यहाँ आ गए हैं जहाँ मुनिवर अगस्त्य ने हमें जाने को कहा था। यही पञ्चवटी का क्षेत्र है। यहाँ के वन-उपवन पुष्पों से लदे हुए हैं और कैसे शोभायमान हो रहे हैं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.