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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 15: पञ्चवटी के रमणीय प्रदेश में श्रीराम की आज्ञा से लक्ष्मण द्वारा सुन्दर पर्णशाला का निर्माण तथा उसमें सीता और लक्ष्मण सहित श्रीराम का निवास
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श्लोक 14
श्लोक
3.15.14
मयूरनादिता रम्या: प्रांशवो बहुकन्दरा:।
दृश्यन्ते गिरय: सौम्य फुल्लैस्तरुभिरावृता:॥ १४॥
अनुवाद
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सौम्य! देखो, यह पर्वत ऊँचा-ऊँचा और बहुत-सी कन्दराओं से युक्त है। इस पर्वत पर मयूरों की मधुर बोली गूंज रही है, साथ ही यहाँ खिले हुए वृक्ष लगे हुए हैं जो इस पर्वत को बहुत ही रमणीय बना रहे हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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