श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 15: पञ्चवटी के रमणीय प्रदेश में श्रीराम की आज्ञा से लक्ष्मण द्वारा सुन्दर पर्णशाला का निर्माण तथा उसमें सीता और लक्ष्मण सहित श्रीराम का निवास  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  3.15.11 
 
 
इयमादित्यसंकाशै: पद्मै: सुरभिगन्धिभि:।
अदूरे दृश्यते रम्या पद्मिनी पद्मशोभिता॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  देखो, यह पास ही सूर्य के समान प्रकाशमान कमलों से रमणीय और सुंदर दिखाई दे रही है। इसके अतिरिक्त, इन कमलों की भीनी-भीनी सुगंध से यह पुष्करिणी और भी मनोरम हो गई है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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