श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 15: पञ्चवटी के रमणीय प्रदेश में श्रीराम की आज्ञा से लक्ष्मण द्वारा सुन्दर पर्णशाला का निर्माण तथा उसमें सीता और लक्ष्मण सहित श्रीराम का निवास  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  3.15.10 
 
 
अयं देश: सम: श्रीमान् पुष्पितैस्तरुभिर्वृत:।
इहाश्रमपदं रम्यं यथावत् कर्तुमर्हसि॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  सुमित्रानन्दन! यह स्थान समतल और सुन्दर है। चारों ओर फूलों से लदे वृक्ष हैं। इसी स्थान पर तुम एक रमणीय आश्रम का निर्माण करो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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