श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 14: पञ्चवटी के मार्ग में जटायु का मिलना और श्रीराम को अपना विस्तृत परिचय देना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  3.14.9 
 
 
दक्षो विवस्वानपरोऽरिष्टनेमिश्च राघव।
कश्यपश्च महातेजास्तेषामासीच्च पश्चिम:॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  चौदहवें दक्ष, पन्द्रहवें विवस्वान, सोलहवें अरिष्टनेमि और सत्रहवें प्रजापति अति तेजस्वी कश्यप हुए। रघुवंशी श्रीराम! इन्हीं कश्यप जी को अन्तिम प्रजापति कहा जाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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