श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 14: पञ्चवटी के मार्ग में जटायु का मिलना और श्रीराम को अपना विस्तृत परिचय देना  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  3.14.8 
 
 
स्थाणुर्मरीचरत्रिश्च क्रतुश्चैव महाबल:।
पुलस्त्यश्चाङ्गिराश्चैव प्रचेता: पुलहस्तथा॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  छठवें स्थाणु, सातवें मरीचि, आठवें अत्रि, नवें महान शक्तिशाली क्रतु, दसवें पुलस्त्य, ग्यारहवें अङ्गिरा, बारहवें प्रचेता (वरुण) और तेरहवें प्रजापति पुलह पैदा हुए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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