श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 14: पञ्चवटी के मार्ग में जटायु का मिलना और श्रीराम को अपना विस्तृत परिचय देना  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  3.14.31 
 
 
सर्वान् पुण्यफलान् वृक्षाननलापि व्यजायत।
विनता च शुकीपौत्री कद्रूश्च सुरसास्वसा॥ ३१॥
 
 
अनुवाद
 
  कश्यप की पत्नी अनला ने उन सभी वृक्षों को जन्म दिया जिनके फल शुभदायक होते हैं। कश्यप की पत्नी ताम्रा की पुत्री शुकी थी और शुकी की पुत्री विनता थी। कद्रू, सुरसा की बहन (और क्रोधवशा की पुत्री) मानी जाती हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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