श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 14: पञ्चवटी के मार्ग में जटायु का मिलना और श्रीराम को अपना विस्तृत परिचय देना  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  3.14.29 
 
 
मनुर्मनुष्याञ्जनयत् कश्यपस्य महात्मन:।
ब्राह्मणान् क्षत्रियान् वैश्यान् शूद्रांश्च मनुजर्षभ॥ २९॥
 
 
अनुवाद
 
  नरश्रेष्ठ! महात्मा कश्यप की पत्नी मनु ने मनुष्यों की उत्पत्ति की, जिसमें ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र चारों वर्ण के लोग शामिल थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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