श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 14: पञ्चवटी के मार्ग में जटायु का मिलना और श्रीराम को अपना विस्तृत परिचय देना  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  3.14.25 
 
 
हर्याश्च हरयोऽपत्यं वानराश्च तपस्विन:।
गोलाङ्गूलाश्च शार्दूली व्याघ्रांश्चाजनयत् सुतान्॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
  हरि की संतानें हरि (सिंह) और तपस्वी (विचारशील) वानर और गोलांगूल (लंगूर) हैं। क्रोधवशा की बेटी शार्दूली ने बाघ को जन्म दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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