श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 14: पञ्चवटी के मार्ग में जटायु का मिलना और श्रीराम को अपना विस्तृत परिचय देना  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  3.14.2 
 
 
तं दृष्ट्वा तौ महाभागौ वनस्थं रामलक्ष्मणौ।
मेनाते राक्षसं पक्षिं ब्रुवाणौ को भवानिति॥ २॥
 
 
अनुवाद
 
  वन में बैठे उस विशाल पक्षी को देखकर महाभाग श्रीराम और लक्ष्मण ने उसे राक्षस समझकर उससे प्रश्न किया, "हे पक्षी! तुम कौन हो?"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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