श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 14: पञ्चवटी के मार्ग में जटायु का मिलना और श्रीराम को अपना विस्तृत परिचय देना  »  श्लोक 18-19
 
 
श्लोक  3.14.18-19 
 
 
उलूकाञ्जनयत् क्रौञ्ची भासी भासान् व्यजायत॥ १८॥
श्येनी श्येनांश्च गृध्रांश्च व्यजायत सुतेजस:।
धृतराष्ट्री तु हंसांश्च कलहंसाश्च सर्वश:॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  उल्लुओं को जन्म देने वाली क्रौंची, भास नामक पक्षियों को जन्म देने वाली भासी, परम तेजस्वी श्येनों (बाजों) और गीधों को जन्म देने वाली श्येनी तथा सब प्रकार के हंसों और कलहंसों को जन्म देने वाली धृतराष्ट्री।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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