श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 14: पञ्चवटी के मार्ग में जटायु का मिलना और श्रीराम को अपना विस्तृत परिचय देना  »  श्लोक 14-15h
 
 
श्लोक  3.14.14-15h 
 
 
अदित्यां जज्ञिरे देवास्त्रयस्त्रिंशदरिंदम॥ १४॥
आदित्या वसवो रुद्रा अश्विनौ च परंतप।
 
 
अनुवाद
 
  देवताओं के शत्रुओं का नाश करने वाले रघुवंशी राम! अदिति के गर्भ से तैंतीस देवताओं का जन्म हुआ, जिनमें बारह आदित्य, आठ वसु, ग्यारह रुद्र और दो अश्विनीकुमार हैं। ये तैंतीस देवता ही संसार की रक्षा करते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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