अदितिस्तन्मना राम दितिश्च दनुरेव च॥ १३॥
कालका च महाबाहो शेषास्त्वमनसोऽभवन्।
अनुवाद
महाबाहु श्रीराम! अदिति, दिति, दनु और काल इन चारों ने कश्यपजी के शब्दों को हृदय से स्वीकार कर लिया, किंतु अन्य स्त्रियाँ उनकी ओर ध्यान नहीं दे सकीं। उनके मन में वैसी इच्छा ही नहीं पैदा हुई।