श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 14: पञ्चवटी के मार्ग में जटायु का मिलना और श्रीराम को अपना विस्तृत परिचय देना  »  श्लोक 13-14h
 
 
श्लोक  3.14.13-14h 
 
 
अदितिस्तन्मना राम दितिश्च दनुरेव च॥ १३॥
कालका च महाबाहो शेषास्त्वमनसोऽभवन्।
 
 
अनुवाद
 
  महाबाहु श्रीराम! अदिति, दिति, दनु और काल इन चारों ने कश्यपजी के शब्दों को हृदय से स्वीकार कर लिया, किंतु अन्य स्त्रियाँ उनकी ओर ध्यान नहीं दे सकीं। उनके मन में वैसी इच्छा ही नहीं पैदा हुई।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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