श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 14: पञ्चवटी के मार्ग में जटायु का मिलना और श्रीराम को अपना विस्तृत परिचय देना  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  3.14.10 
 
 
प्रजापतेस्तु दक्षस्य बभूवुरिति विश्रुता:।
षष्टिर्दुहितरो राम यशस्विन्यो महायश:॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  महायशस्वी श्रीराम! प्रजापति दक्ष की साठ यशस्विनी कन्याएँ थीं, जिनकी कीर्ति दूर-दूर तक फैली हुई थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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