श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 14: पञ्चवटी के मार्ग में जटायु का मिलना और श्रीराम को अपना विस्तृत परिचय देना  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  3.14.1 
 
 
अथ पञ्चवटीं गच्छन्नन्तरा रघुनन्दन:।
आससाद महाकायं गृध्रं भीमपराक्रमम्॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  पंचवटी जाते हुए रास्ते में श्रीरामचंद्रजी को एक विशाल काया वाला गिद्ध मिला, जो बहुत ही भयंकर और पराक्रमी था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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