राजनंदन श्रीराम और लक्ष्मण ने अपनी पीठ पर तीर के बाण लटकाए और हाथ में धनुष ले लिया। वे दोनों युद्ध के मैदान में डरने वाले नहीं थे। दोनों भाई ऋषि के बताए हुए मार्ग का अनुसरण करते हुए सावधानी से पंचवटी की ओर बढ़ चले।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे त्रयोदश: सर्ग:॥ १३॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें तेरहवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ १३॥