श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 13: महर्षि अगस्त्य का सीता की प्रशंसा करना, श्रीराम के पूछने पर उन्हें पञ्चवटी में आश्रम बनाकर रहने का आदेश देना  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  3.13.24 
 
 
तौ तु तेनाभ्यनुज्ञातौ कृतपादाभिवन्दनौ।
तमाश्रमं पञ्चवटीं जग्मतु: सह सीतया॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  उन दोनों भाइयों ने अपने पिता दशरथ से आज्ञा पाकर उनके चरणों में वंदना की और सीता के साथ पंचवटी नामक आश्रम की ओर चल दिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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