श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 13: महर्षि अगस्त्य का सीता की प्रशंसा करना, श्रीराम के पूछने पर उन्हें पञ्चवटी में आश्रम बनाकर रहने का आदेश देना  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  3.13.20 
 
 
भवानपि सदाचार: शक्तश्च परिरक्षणे।
अपि चात्र वसन् राम तापसान् पालयिष्यसि॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  श्री राम, आप तो सदैव धर्म के आचरण करने वाले और ऋषियों की रक्षा करने में समर्थ हैं। इसलिए आप यहाँ रहकर तपस्वी मुनियों का पालन-पोषण करेंगे।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.