श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 13: महर्षि अगस्त्य का सीता की प्रशंसा करना, श्रीराम के पूछने पर उन्हें पञ्चवटी में आश्रम बनाकर रहने का आदेश देना  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  3.13.17 
 
 
अतश्च त्वामहं ब्रूमि गच्छ पञ्चवटीमिति।
स हि रम्यो वनोद्देशो मैथिली तत्र रंस्यते॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  इसलिए मैं तुमसे कहता हूँ पंचवटी में जाओ। वहाँ का वनस्थल बहुत ही मनोरम है। वहाँ मिथिलेश कुमारी सीता आनंदपूर्वक चारों ओर विचरण करेंगी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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