श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 13: महर्षि अगस्त्य का सीता की प्रशंसा करना, श्रीराम के पूछने पर उन्हें पञ्चवटी में आश्रम बनाकर रहने का आदेश देना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  3.13.11 
 
 
किं तु व्यादिश मे देशं सोदकं बहुकाननम्।
यत्राश्रमपदं कृत्वा वसेयं निरत: सुखम्॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  मुनिवर! अब आप मुझे ऐसा क्षेत्र बतलाएँ जहाँ जंगल भी बहुत हों और जल-झरनों की भी सुविधा हो ताकि मैं वहाँ अपना आश्रम बनाकर निवास करूँ और सुख-शांति से जीवन व्यतीत कर सकूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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