वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 13: महर्षि अगस्त्य का सीता की प्रशंसा करना, श्रीराम के पूछने पर उन्हें पञ्चवटी में आश्रम बनाकर रहने का आदेश देना
»
श्लोक 11
श्लोक
3.13.11
किं तु व्यादिश मे देशं सोदकं बहुकाननम्।
यत्राश्रमपदं कृत्वा वसेयं निरत: सुखम्॥ ११॥
अनुवाद
play_arrowpause
मुनिवर! अब आप मुझे ऐसा क्षेत्र बतलाएँ जहाँ जंगल भी बहुत हों और जल-झरनों की भी सुविधा हो ताकि मैं वहाँ अपना आश्रम बनाकर निवास करूँ और सुख-शांति से जीवन व्यतीत कर सकूँ।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.