‘महामुने! राजा दशरथ के ये दो पुत्र श्रीराम और लक्ष्मण आश्रम में पधारे हैं। श्रीराम अपनी धर्मपत्नी सीता के साथ हैं। वे दोनों शत्रुओं का दमन करने वाले वीर हैं और आपकी सेवा के उद्देश्य से ही आपका दर्शन करने आये हैं। अब उनके लिए मैं जो भी कहूँ या करूँ उसके लिए आप मुझे आदेश दें’।