श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 12: श्रीराम आदि का अगस्त्य के आश्रम में प्रवेश, अतिथि-सत्कार तथा मुनि की ओर से उन्हें दिव्य अस्त्र-शस्त्रों की प्राप्ति  »  श्लोक 7-9h
 
 
श्लोक  3.12.7-9h 
 
 
पुत्रौ दशरथस्येमौ रामो लक्ष्मण एव च॥ ७॥
प्रविष्टावाश्रमपदं सीतया सह भार्यया।
द्रष्टुं भवन्तमायातौ शुश्रूषार्थमरिंदमौ॥ ८॥
यदत्रानन्तरं तत् त्वमाज्ञापयितुमर्हसि।
 
 
अनुवाद
 
  ‘महामुने! राजा दशरथ के ये दो पुत्र श्रीराम और लक्ष्मण आश्रम में पधारे हैं। श्रीराम अपनी धर्मपत्नी सीता के साथ हैं। वे दोनों शत्रुओं का दमन करने वाले वीर हैं और आपकी सेवा के उद्देश्य से ही आपका दर्शन करने आये हैं। अब उनके लिए मैं जो भी कहूँ या करूँ उसके लिए आप मुझे आदेश दें’।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.