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श्लोक 3.12.37  |
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एवमुक्त्वा महातेजा: समस्तं तद्वरायुधम्।
दत्त्वा रामाय भगवानगस्त्य: पुनरब्रवीत्॥ ३७॥ |
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अनुवाद |
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इस प्रकार कहकर महातेजस्वी अगस्त्य ने वे सभी उत्तम आयुध भगवान श्रीरामचन्द्रजी को सौंप दिए। तत्पश्चात् वे पुनः बोले। |
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इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे द्वादश: सर्ग:॥ १२॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें बारहवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ १२॥ |
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