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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 12: श्रीराम आदि का अगस्त्य के आश्रम में प्रवेश, अतिथि-सत्कार तथा मुनि की ओर से उन्हें दिव्य अस्त्र-शस्त्रों की प्राप्ति
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श्लोक 30
श्लोक
3.12.30
राजा सर्वस्य लोकस्य धर्मचारी महारथ:।
पूजनीयश्च मान्यश्च भवान् प्राप्त: प्रियातिथि:॥ ३०॥
अनुवाद
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राजन्! सम्पूर्ण संसार के राजा व धर्म का आचरण करने वाले महान योद्धा आप हमारे आश्रम में प्रिय अतिथि के रूप में पधारे हैं। इसलिए आप हमारे पूजनीय और सम्माननीय हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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