श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 12: श्रीराम आदि का अगस्त्य के आश्रम में प्रवेश, अतिथि-सत्कार तथा मुनि की ओर से उन्हें दिव्य अस्त्र-शस्त्रों की प्राप्ति  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  3.12.25 
 
 
अभिवाद्य तु धर्मात्मा तस्थौ राम: कृताञ्जलि:।
सीतया सह वैदेह्या तदा राम: सलक्ष्मण:॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
  तब धर्मपरायण श्री राम ने महर्षि के चरणों में प्रणाम करके हाथ जोड़कर सीता और लक्ष्मण के साथ खड़े हो गये।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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