श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 12: श्रीराम आदि का अगस्त्य के आश्रम में प्रवेश, अतिथि-सत्कार तथा मुनि की ओर से उन्हें दिव्य अस्त्र-शस्त्रों की प्राप्ति  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  3.12.24 
 
 
एवमुक्त्वा महाबाहुरगस्त्यं सूर्यवर्चसम्।
जग्राहापततस्तस्य पादौ च रघुनन्दन:॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  महाबाहु वाले रघुनन्दन ने सूर्य के समान तेजस्वी महर्षि अगस्त्य से ऐसा कहकर उनके आगे आते हुए दोनों चरण पकड़ लिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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