वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 12: श्रीराम आदि का अगस्त्य के आश्रम में प्रवेश, अतिथि-सत्कार तथा मुनि की ओर से उन्हें दिव्य अस्त्र-शस्त्रों की प्राप्ति
»
श्लोक 21-22
श्लोक
3.12.21-22
तत: शिष्यै: परिवृतो मुनिरप्यभिनिष्पतत्॥ २१॥
तं ददर्शाग्रतो रामो मुनीनां दीप्ततेजसाम्।
अब्रवीद् वचनं वीरो लक्ष्मणं लक्ष्मिवर्धनम्॥ २२॥
अनुवाद
play_arrowpause
तब शिष्यों से घिरे हुए मुनिवर अगस्त्य भी अग्निशाला से बाहर निकले। वीर श्रीराम ने आगे आते हुए दीप्त और तेजस्वी अगस्त्यजी का दर्शन किया और अपनी शोभा का विस्तार करने वाले लक्ष्मण से इस प्रकार कहा-।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.