श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 12: श्रीराम आदि का अगस्त्य के आश्रम में प्रवेश, अतिथि-सत्कार तथा मुनि की ओर से उन्हें दिव्य अस्त्र-शस्त्रों की प्राप्ति  »  श्लोक 14-15h
 
 
श्लोक  3.12.14-15h 
 
 
ततो गत्वाऽऽश्रमपदं शिष्येण सह लक्ष्मण:॥ १४॥
दर्शयामास काकुत्स्थं सीतां च जनकात्मजाम्।
 
 
अनुवाद
 
  तब लक्ष्मण अपने शिष्य के साथ आश्रम के द्वार पर आये और भगवान श्रीरामचन्द्रजी और माता सीता को शिष्य को दिखाया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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