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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 12: श्रीराम आदि का अगस्त्य के आश्रम में प्रवेश, अतिथि-सत्कार तथा मुनि की ओर से उन्हें दिव्य अस्त्र-शस्त्रों की प्राप्ति
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श्लोक 12-13h
श्लोक
3.12.12-13h
एवमुक्तस्तु मुनिना धर्मज्ञेन महात्मना॥ १२॥
अभिवाद्याब्रवीच्छिष्यस्तथेति नियताञ्जलि:।
अनुवाद
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धर्मज्ञ महात्मा अगस्त्य मुनि के इस प्रकार कहने पर शिष्य ने हाथ जोड़कर उन्हें प्रणाम किया और कहा - 'बहुत अच्छा ! अभी ले आता हूँ'।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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