सौभाग्य की बात है कि आज चिरकाल के बाद श्रीरामचन्द्र जी स्वयं ही मुझसे मिलने के लिए आ गए। मेरे मन में भी बहुत दिनों से यह अभिलाषा थी कि वे एक बार मेरे आश्रम पर पधारें। पत्नी सहित श्रीराम और लक्ष्मण का सत्कारपूर्वक आश्रम के भीतर मेरे समीप ले आओ। तुम इतने समय से उन्हें क्यों नहीं लाए?’