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श्लोक 3.11.94  |
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आगता: स्माश्रमपदं सौमित्रे प्रविशाग्रत:।
निवेदयेह मां प्राप्तमृषये सह सीतया॥ ९४॥ |
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अनुवाद |
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"सौमित्रे! अब हम आश्रम पहुँच गए हैं, तुम पहले जाओ और ऋषियों को मेरे और सीता के आगमन की सूचना दो।" |
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इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे एकादश: सर्ग:॥ ११॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें ग्यारहवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ११॥ |
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