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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 11: पञ्चाप्सर तीर्थ एवं माण्डकर्णि मुनि की कथा, विभिन्न आश्रमों में घूमकर श्रीराम आदि का सुतीक्ष्ण के आश्रम में आना तथा अगस्त्य के प्रभाव का वर्णन
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श्लोक 92
श्लोक
3.11.92
अत्र सिद्धा महात्मानो विमानै: सूर्यसंनिभै:।
त्यक्त्वा देहान् नवैर्देहै: स्वर्याता: परमर्षय:॥ ९२॥
अनुवाद
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इस आश्रम में सिद्ध महात्मा और महर्षि अपने शरीर को त्याग कर सूर्य के समान प्रकाशमान विमानों द्वारा स्वर्गलोक को प्राप्त हुए हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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